Saturday, September 4, 2010

आनंद की गज़लें

जीवन साथी सबके पेड़
हाथ मिलाते सबसे पेड़
वर्षा आंधी तूफानों का
करें सामना डटकर पेड़
छानी छप्पर महल अटारी
गा उठते बन ठन कर पेड़
मन्त्र रिचाओं की सेवा में
रहे जागते वन के पेड़
जीवन भर आनंद बांटते
आदि अंत हैं जग के पेड़
[भोपाल :१०.१२.०७]
जब भी नया उगाया पेड़
खुशहाली ले आया पेड़
मरुथल पतझड़ हुए निराश
हरियाली बन छाया पेड़
पिए रात भर विष के घूँट
दिनभर रस बरसाया पेड़
मरकर जी कर आया काम
परहित पाठ पढ़ाया पेड़
जल थल नभ सबको अहसास
जीभर आनंद लुटाया पेड़
[भोपाल :१०.०२.१०]
तीखे तीर चुभाती गर्मी
सरिता ताल सुखाती गर्मी
छप्पर छानी छाया में भी
अकड़े रौव जमाती गर्मी
पंखा कूलर जब जब रूठें
तीखा राग सुनाती गर्मी
गला सूख मरुथल बन जाते
रह रह प्यास जगाती गर्मी
करती तर बतर पसीने से
पल पल ध्यान बताती
लूह लपट से हाथ मिलाकर
तेवर तने दिखती गर्मी
सुवह दुपहरी भले राट हो
आँखें लाल दिखती गर्मी
[भरूच:१४.१०.०८]

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