Tuesday, August 31, 2010

डाक्टर आनंद के जनक छंद

सकल जगत है अनमना
चिंता का कारण बना
तापमान का उछलना
ताप ताव ऐसा तपा
बर्फ पिघल पानी हुआ
प्रकृति हो रही है खफा
घोर प्रदूषण बाद रहा
शुद्ध हवा पानी नहीं
जीवन घुलघुल मर रहा
पानी ताल गहरा हुआ
दिखा रहे हैं झुनझुना
सर सरिता निर्झर कुआं
यह कैसाअंधेर है
गधे पंजींरी खा रहे
कलियुग का यह फेर है
संसद पर हमला करे
सीना ताने रह रहा
फंसीं से वह ना डरे
रूप पुजारी का धरो
जप माला छापा तिलक
हत्याएं सौ सौ करो
हुआ चलन संतान का
तोड़ रहे अनुबंध सब
रेशम से सम्बन्ध का
[भोपाल १०.०६ .२०१०]