Sunday, July 3, 2011

जो कुछ कहना कहना सीखो
सच को सच ही कहना सीखो
पोथी पढ़ पढ़ समय गमाया
ढाई आखर पढ़ना सीखो
गिरकर पथ में हार न मानो
शूलों से कतराना कैसा
नित गुलाब -सा हंसना सीखो
पढ़ना आहिस्ता आहिस्ता
सोच समझकर लिखना सीखो
[भोपाल :05.09.2010]

No comments:

Post a Comment