Friday, March 4, 2011

आकलन:श्री यतीन्द्रनाथ राही

राही गढ़ने में जुटे ,ऐसी अनगढ़ राह
'माटी माथे पर धरूँ ',हर राही की चाह
हर राही की चाह ,पूँछ लूं वो मधुशाला
पीकर जिसके घूँट , उलींचे अमर उजाला
भाषा भावों की चाल ,मोडते हो मनचाही
'महाप्राण .में प्राण ,फूकने वाले राही
डाक्टर जयजयराम आनंद ,
इ ७/७० अशोका सोसाइटी अरेरा कालोनी भोपाल

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